पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो अभियान से संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश होगा लाभान्वित: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो अभियान से संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश होगा लाभान्वित: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मंगलवार का दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदी जोड़ो अभियान के लिए त्रि-पक्षीय अनुबंध होने वाला है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश और राजस्थान को 72 हजार करोड़ रुपये की अद्भुत परियोजना की बड़ी सौगात दी जाएगी। इससे मध्यप्रदेश के 13 जिलों में न केवल पीने के पानी की बल्कि सभी प्रकार की सिंचाई की व्यवस्था भी होगी। जल, भगवान की देन है लेकिन जल का सद्पयोग सरकार के माध्यम से समाज के हित में होता है। गत 20 वर्ष से किसी न किसी कारण से राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच होने वाला समझौता टला। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में यह बदलाव का दौर है। इस परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर सहित आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर इत्यादि संपूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश में पीने के पानी और सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा राजस्थान के ग्राम दादिया (जयपुर) में पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के कार्यक्रम केलिये रवाना होने के पहले जारी अपने संदेश में यह बात कही।

40 लाख आबादी को सिंचाई जल के साथ पेयजल भी होगा उपलब्ध

इस परियोजना से प्रदेश के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ है, जिसमें मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रूपये व्यय करेगा। केन्द्र की इस योजना में कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश रहेगा। परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। साथ ही 172 मिलियन घन मीटर जल, पेयजल और उद्योगों के लिये आरक्षित रहेगा। परियोजना अंतर्गत 21 बांध/बैराज निर्मित किये जाएंगे।

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