चीन में बदल रहे रिवाज, 30 बाद बाद पहली बार प्रधानमंत्री ने अचानक रद्द की प्रेस कान्फ्रेंस…

चीन में बदल रहे रिवाज, 30 बाद बाद पहली बार प्रधानमंत्री ने अचानक रद्द की प्रेस कान्फ्रेंस…

चीन में सबकुछ सही नहीं चल रही है। भारत के पड़ोसी देश में रिवाज बदल रहे हैं।

सोमवार को चीन ने तब दुनिया को हैरान कर दिया जब उसके प्रधानमंत्री ली कियांग की ओर से संवाददाता सम्मेलन रद्द करने की घोषणा की गई। चीन में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के आखिर में प्रेस कांफ्रेंस की परंपरा 30 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इसमें चीन की सरकारी नीतियों और अर्थव्यवस्था दुनिया के सामने आती है। 

चीन की शीर्ष विधायी संस्था एनपीसी के प्रवक्ता लोउ क़िनजियान ने सोमवार को एक बयान में कहा कि असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर वर्तमान नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के कार्यकाल के लिए भी इस रिवाज को समाप्त कर दिया जाएगा।

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर जा इयान चोंग ने कहा कि वह चीन की आर्थिक मंदी और जनसांख्यिकीय संकट के बारे में सवालों से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

एनपीसी प्रवक्ता लू क्विनजियान ने कहा, चीनी संसद का सत्र 5 मार्च से 11 मार्च तक आयोजित होगा। वार्षिक बैठक आयोजित किए जाने के अलावा लू ने प्रधानमंत्री की प्रेस वार्ता रद्द किए जाने का ऐलान किया।

यह निर्णय बेहद चौंकाने वाला बताया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार प्रधानमंत्री के बयानों के आधार पर चीनी आर्थिक नीति के बारे में बेहद अहम जानकारी सामने आती हैं लेकिन, अब चीन की नीतियों और अर्थव्यवस्था को लेकर बातें दुनिया के सामने नहीं आ पाएंगी।

कब से शुरू हुआ यह रिवाज
लू ने कहा कि वार्षिक संसद सत्र के अंत में प्रधानमंत्री की तरफ से मीडिया को संबोधित करने की प्रथा अब पूरी तरह से बंद कर दी गई है।

बता दें कि चीनी प्रधानमंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस का पहली बार आयोजन 1988 में किया गया था। इस प्रेस वार्ता के बड़े मायने हैं, क्योंकि प्रेस वार्ता में पीएम न सिर्फ देश की आर्थिक नीति बल्कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे आगे के कदमो पर भी चर्चा करते हैं।

इसके अलावा पीएम से देश में चल रहे मौजूदा संकटों और हालातों पर भी सवाल किए जाते हैं। इस प्रेस वार्ता में घरेलू से लेकर विदेश नीति समेत कई मुद्दे होते हैं।

प्रधानमंत्री ली क़ियांग मंगलवार सुबह एनपीसी को सरकारी कार्य रिपोर्ट सौंपेंगे, इसके बाद राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग और वित्त मंत्रालय की योजनाओं और बजट की रूपरेखा वाली दो लिखित रिपोर्टें पेश की जाएंगी।

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