तो घुटनों पर आ गया पाकिस्तान, 4 साल में पहली बार दिल्ली में क्यों मनाने जा रहा ‘नेशनल डे’? क्या है लाहौर प्रस्ताव…

तो घुटनों पर आ गया पाकिस्तान, 4 साल में पहली बार दिल्ली में क्यों मनाने जा रहा ‘नेशनल डे’? क्या है लाहौर प्रस्ताव…

पड़ोसी देश पाकिस्तान में शहबाज शरीफ ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है।

वह भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिशों में जुट गए हैं। आर्थिक संकटों से त्राहिमाम कर रहे पाकिस्तान को इस वक्त पड़ोसी देशों से मधुर संबंध बनाने की सबसे ज्यादा दरकार है और शायद इसीलिए चार साल में पहली बार पाकिस्तान नई दिल्ली में अपना नेशनल डे मनाने जा रहा है। 

बताया जा रहा है कि इस दिन नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें विदेशी राजनयिक और भारतीय शामिल होते हैं।

आमतौर पर किसी मंत्री या राज्य मंत्री को मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने अपना राजदूत वापस बुला लिया था।

क्या है ‘नेशनल डे’?
पाकिस्तान 23 मार्च को नेशनल डे (राष्ट्रीय दिवस) के रूप में मनाता है।  23 मार्च, 1940 को मुस्लिम लीग ने लाहौर में मुस्लिमों के लिए एक अलग संप्रभु देश बनाने का प्रस्ताव रखा था और लाहौर मीटिंग में पार्टी ने उस संकल्प को अपनाया था।  

लाहौर संकल्प की वर्षगांठ को ही पाकिस्तान में राष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पाकिस्तान में 23 मार्च इसलिए भी अहम है क्योंकि 23 मार्च, 1956 को ही पाकिस्तान का संविधान भी लागू हुआ था, जिसके तहत पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र बना था।

लाहौर प्रस्ताव में क्या?
1940 में 22 से 24 मार्च के बीच लाहौर में मुस्लिम लीग का अधिवेशन हुआ था। इस दौरान मुस्लिम लीग ने 23 मार्च को मुस्लिमों के लिए एक अलग संप्रभु देश बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था।

हालांकि, लाहौर प्रस्ताव में पाकिस्तान नाम का जिक्र नहीं था लेकिन जब बाद में पाकिस्तान अलग देश बना तो इस प्रस्ताव को पाकिस्तान प्रस्ताव भी कहा जाने लगा। अबुल कलाम आजाद और हुसैन अहमद मदनी जैसे भारतीय मुसलमानों ने इस प्रस्ताव की आलोचना की थी। देवबंद उलेमा ने भी लाहौर प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट भारत की वकालत की थी।

इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भौगोलिक सीमाओं और मुस्लिम आबादी के संकेंद्रण को ध्यान में रखते हुए इस तरह से बंटवारा किया जाना चाहिए, ताकि बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी उसके तहत आ जाए। प्रस्ताव में कहा गया था कि जब तक मुस्लिमों को धयान में रखते हुए इस तरह का भौगोलिक बंटवारा नहीं हो जाता, तब तक कोई भी संवैधानिक कार्य योजना मुस्लिम पक्ष स्वीकार नहीं करेंगे। इस संकल्प के तहत भारत के पूर्वी हिस्से और उत्तरी-पश्चिमी हिस्से को अलग देश बनाने की मांग की गई थी, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) और पाकिस्तान के रूप में अस्तित्व में आया।

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