इजरायल से तनाव के बीच क्यों पाकिस्तान जा रहे ईरानी राष्ट्रपति, क्या चीन ने खेला है दांव?…

इजरायल से तनाव के बीच क्यों पाकिस्तान जा रहे ईरानी राष्ट्रपति, क्या चीन ने खेला है दांव?…

ईरान और इजरायल में इन दिनों तनाव चरम पर चल रहा है। इसी बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं।

इस सप्ताह उनका तीन दिन का पाकिस्तान दौरा हो सकता है।

जानकारी के मुताबिक दोनों देश अपने संबंधों को सुधारना चाहते हैं। जनवरी महीने में मिसाइल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान और ईरान में संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने रईसी के दौरे की बात की पुष्टि की है। 

बता दें कि  इस समय इजरायल और ईरान आमने सामने हैं। सीरिया में ईरानी दूतावास में इजरायल एयरस्ट्राइक के बाद ईरान ने भी ताबड़तोड़ 300 मिसाइल और ड्रोन इजरायल पर दाग दिए थे।  

हालांकि ये मिसाइल इजरायल के सुरक्षा कवच को भेद नहीं पाए। वहीं इजरायल ने भी ईरान पर पलटवार किया। ऐसे में मिडल ईस्ट में तनाव देखा जा रहा है। 

जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति रईसी पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। वे आंचलिक और वैश्विक परिस्थितियों, द्विपक्षीय संबंधों, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत करेंगे।

इसके अलावा वह लाहौर और कराची शहरों का भ्रमण करेंगे। बता दें कि पाकिस्तान ने भी कहा है कि मिडल ईस्ट में तनाव कम होना चाहिए। 

बता दें कि ईरान और पाकिस्तान के संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। वहीं मिसाइल स्ट्राइक के बाद दोनों के बीच तनाव और बढ़ गया था। हालांकि अब दोनों देश एक दूसरे की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाए बिना आपसी संबंधों को मजबूत करने की कवायद कर रहे हैं।

दोनों देशों से कैसे हैं भारत के रिश्ते
पाकिस्तान से भारत के रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। वहीं भारत के लिए ईरान बेहद महत्वपूर्ण साझेदार है। हथियारों की आपूर्ति करने के मामले में ईरान चौते नंबर पर है।

भारत और ईरान के बीच पुराने सांस्कृतिक संबंध भी हैं। चाबहार पोर्ट भारत और ईरान को दुनियाभर के समुद्री मार्गों से जोड़ता है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान को नियंत्रित करने में भी ईरान भारत की मदद करता रहा है। 

बता दें कि ईरान और पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ा था तब पर्दे के पीछे से काम करके चीन ने सुलह करवा दी थी। रईसी के इस दौरे को भी चीन की रणनीति से जोड़ा जा रहा है।

इसमें दोनों का स्वार्थ देखा जा रहा है। एक तरफ तो चीन पाकिस्तान में चल रहे अपने प्रोजेक्ट्क के लिए रास्ता साफ करना चाहता है।

दूसरी तरफ ईरान परमाणु बनाना चाहता है जिसपर प्रतिबंध लगे हुए हैं। हालांकि अमेरिका से चलने वाली तनातनी के बीच ईरान चाहता है कि वह भी परमाणु हथियार से लैस हो जाए।

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