ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दस्तक देने आ रही है फिल्म ‘मैदान’ 

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दस्तक देने आ रही है फिल्म ‘मैदान’ 

अजय देवगन अभिनीत पीरियड स्पोर्ट्स ड्रामा 'मैदान' साल की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक रही। हालांकि, यह फिल्म भारतीय बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। सैयद अब्दुल रहीम पर आधारित इस बायोपिक फिल्म का निर्देशन अमित शर्मा ने किया है। वहीं, जो लोग सिनेमाघरों में इसका लुत्फ नहीं उठा पाए थे, वह इसकी ओटीटी रिलीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अब इंतजार खत्म हो चुका है और 'मैदान' ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है।

'मैदान' की ओटीटी पर दस्तक 

भारत और दुनिया भर के 240 देशों और क्षेत्रों में प्राइम वीडियो के ग्राहक अपने डिवाइस पर 'मैदान' देख सकते हैं। 'मैदान' आज से प्राइम वीडियो पर विशेष रूप से स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है। इससे पहले 'मैदान' अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ हिंदी ऑडियो में प्राइम वीडियो पर उपलब्ध थी, लेकिन दर्शक इस फिल्म को तब फ्री में नहीं देख सकते थे, बल्कि इसके लिए उन्हें 349 रुपये चुकाने पड़ते थे। हालांकि, अब दर्शकों को फिल्म का मजा मुफ्त में मिल सकता है।

'मैदान' का निर्माण-स्टारकास्ट 

जानकारी हो कि फिल्म 'मैदान' 10 अप्रैल को हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषाओं में रिलीज हुई। 'मैदान' अमित शर्मा द्वारा निर्देशित है और बोनी कपूर, आकाश चावला, अरुणव जॉय सेनगुप्ता और जी स्टूडियो द्वारा समर्थित है। फिल्म में अजय देवगन फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम की भूमिका निभा रहे हैं और यह फिल्म 1952-1962 के बीच भारत के स्वर्णिम फुटबॉल काल पर केंद्रित है। फिल्म में प्रियामणि, गजराज राव और रुद्रनील घोष भी सहायक भूमिकाओं में हैं।

'मैदान' की कहानी 

वहीं, फिल्म की कहानी के बारे में बात करें तो यह गुमनाम नायक सैयद अब्दुल रहीम की सच्ची कहानी की झलक पेश करती है, जिन्होंने अपना जीवन फुटबॉल के लिए समर्पित कर दिया और भारत को बहुत गौरव दिलाया। उनकी जीवनी पर आधारित स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म कोच सैयद अब्दुल रहीम के नेतृत्व में भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग को श्रद्धांजलि है, जिसमें 1951 और 1962 के एशियाई खेलों में टीम की जीत को दर्शाया गया है। उस समय टीम में चुन्नी गोस्वामी, पीके बनर्जी, बलराम, फ्रेंको और अरुण घोष जैसे शानदार खिलाड़ी शामिल थे। 'मैदान' फिल्म का संगीत एआर रहमान ने तैयार किया है। वहीं, गीत मनोज मुंतशिर शुक्ला ने लिखे हैं। 

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