राजनांदगांव-छत्तीसगढ़ में BJP के संतोष पांडेय ने दी भूपेश बघेल को शिकस्त, 44,411वोटों से हराया

राजनांदगांव-छत्तीसगढ़ में BJP के संतोष पांडेय ने दी भूपेश बघेल को शिकस्त, 44,411वोटों से हराया

राजनांदगांव.

छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी को 10 पर जीत मिली है। वहीं कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट यानी कोरबा से संतोष करना पड़ा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा को नौ और कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें कोरबा और बस्तर शामिल थी, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस से ज्योत्सना चरणदास महंत ही अपनी साख बचाने में कामयाबी रहीं। कोरबा सीट से ज्योत्सना चरणदास महंत 5,70,182 वोट मिले हैं। उन्होंने भाजपा की सरोज पांडेय 43,283 को हराया है।

प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट राजनांदगांव से कांग्रेस प्रत्याशी और राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को हार का सामना करना पड़ा। भूपेश बघेल को मौजूदा सांसद और भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय ने शिकस्त दी है। भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय को 7,12,057 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल को 6,67,646 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय ने 44,411 वोटों से जीत हासिल की है। राजनांदगांव से प्रदेश के पूर्व सीएम और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह विधायक चुने गए हैं, इस लिहाज से भी यह सीट खास हो जाती है।  बीजेपी के संतोष पांडेय यहां से सांसद हैं। इतना ही नहीं बीजेपी ने यहां से लगातार 4 बार जीत हासिल की है। राजनांदगांव लोकसभा सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें राजनांदगांव, खुज्जी, मोहला मानपुर, डोंगरगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़, कवर्धा और पंडरिया शामिल हैं।

पिछले चुनाव के परिणाम
राजनांदगांव लोकसभा सीट में हुए पिछले पांच चुनावों में बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की है।  हालांकि बीच में एक उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस को जीत मिली थी। 1999 में इसी सीट से डॉ. रमन सिंह जीते थे। 2004 में प्रदीप गांधी को जीत हासिल हुई थी, फिर 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2009 में मधुसूदन यादव यहां से सांसद बने। फिर 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह यहां से सांसद बने। 2019 में बीजेपी ने संतोष पांडे को मौका दिया और वह सांसद बने।

गौरवशाली रहा है राजनांदगांव का इतिहास
राजनांदगांव का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। इसे छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी भी कहा जाता है यहां पर प्रसिद्ध राजवंशों जैसे सोमवंशी, कालचुरी बाद में मराठाओं द्वारा शासन किया गया था। पहले राजनांदगांव को नंदग्राम कहा जाता था।  1973 में राजनांदगांव को दुर्ग जिले से अलग करके नया जिला बनाया गया था फिर 1998 में इसके कुछ हिस्सें को अलग कर कबीरधाम जिला बना। खैरागढ़ में इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय है तो डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। यहीं पर बौद्ध धर्म के अलावा जैन धर्म का भी बड़ा धार्मिक स्थल भी है। 

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *