कब है ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी? चंद्रमा देखना क्यों है वर्जित

कब है ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी? चंद्रमा देखना क्यों है वर्जित

विनायक चतुर्थी का व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस समय ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है. इसमें चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करते हैं. हालांकि इस व्रत में चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि वाले संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा करते हैं. 

किस दिन है विनायक चतुर्थी 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 9 जून रविवार को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर ज्येष्ठ मा​​ह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है और यह 10 जून सोमवार को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 10 जून सोमवार को रखा जाएगा.

विनायक चतुर्थी 2024 मुहूर्त
10 जून की विनायक चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 01 बजकर 44 मिनट तक है. ​जो लोग व्रत रखेंगे, वे इस समय में गणेश जी की पूजा कर लें. इस विनायक चतुर्थी व्रत की पूजा दिन में ही संपन्न कर ली जाती है.

उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:53 ए एम से दोपहर 12:49 पी एम तक है. वहीं ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक है. विनायक चतुर्थी वाले दिन सूर्योदय 05:23 ए एम पर होगा और चंद्रोदय 10:54 पी एम पर होगा.

पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में विनायक चतुर्थी
ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, ध्रुव योग और पुष्य नक्षत्र का सुंदर संयोग बन रहा है. ध्रुव योग प्रात:काल से शाम 04 बजकर 48 मिनट तक है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग प्रात: 05:23 ए एम से रात 09:40 पी एम तक है. ये दोनों ही योग शुभ माने जाते हैं. व्रत के दिन पुष्य नक्षत्र प्रात:काल से रात 09:40 पीएम तक है, उसके बाद से अश्लेषा नक्षत्र है.
विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा क्यों नहीं देखते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति पर कोई गलत आरोप लगते हैं. वह झूठे कलंक का भागी बनता है. ऐसे में उस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है.

विनायक चतुर्थी का महत्व
जो लोग विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, उसमें कोई विघ्न-बाधा नहीं आती है.
 

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