हाथरस हादसे पर बोले धीरेंद्र शास्त्री- घटना दुर्भाग्यपूर्ण, ऐसी जगह जाने से बचें

छतरपुर। बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बड़ा बयान सामने आया है। हाथरस हादसे को लेकर उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सुना कि जूता पहनकर सत्संग किया जाता है, जो घटना घटी वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जो अपने लोगों की सुरक्षा न कर पाये, ऐसी जगह जाने से बचना चाहिए।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आज 4 जुलाई को जन्मदिन है। बागेश्वर धाम में पीठाधीश्वर का जन्म उत्सव मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए सत्संग हादसे के बाद बागेश्वर धाम में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है। प्रशासन के कार्यपालिक मजिस्ट्रेटों को भी कलेक्टर ने बागेश्वर धाम में तैनात किया है।

कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने जन्मदिन पर हाथरस की घटना पर बड़ा दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सुना कि जूता पहनकर सत्संग किया जाता है। जो घटना घटी वह दुभाग्यपूर्ण है। ऐसी जगह से लोगों को बचना चाहिए, जो अपने लोगों की सुरक्षा न कर पाये। वहीं उनके जन्मदिन पर लोगों ने उनकी अपील मानी। जितनी भीड़ आनी थी, उसमें कमी आई है। धीरेंद्र शास्त्री ने सनातन धर्म के लिये छोटी-छोटी पैदल यात्रा निकालने की बात कही है।

उन्होंने कहा कि देखा बुरा मत मानना…जब मंदिर में मंदिर की मूर्ति से ज्यादा पुजारी पूजने लगता है तो उस देश में अंधविश्वास अधिक बढ़ जाता है। 28वें जन्मदिन पर यही संकल्प लिया है कि हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुस्तान इस तीन की चर्चा को लेकर पैदल यात्राएं करेंगे। हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए और तेजी से कार्य करेंगे। वहीं शादी को लेकर उन्होंने हंसते हुए कहा कि उम्र तो घट रही है, लेकिन शादी तो बुढ़ापे में भी हो सकती है। जल्द ही ब्याह होगा।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने वीडियो जारी कर लोगों से कहा था कि ‘4 जुलाई को मेरे जीवन की आयु का एक वर्ष कम हो जाएगा। बहुत व्यापक तरीके से अद्भुत आनंद उत्सव की तैयारियां चल रही हैं। लेकिन इस वीडियो के माध्यम से हम एक निवेदन और प्रार्थना करना चाह रहे हैं। 4 जुलाई के उत्सव के लिए दूर-दूर से आ रहे बागेश्वर धाम से जुड़े लोग हमारे प्रियजन हैं। हमारी एक प्रार्थना है कि आप लोग हमारी अपील मानें तो हमें अपार प्रशंसा होगी।’

उन्होंने कहा 1 तारीख से ही जन समुदाय और बागेश्वर धाम के भक्तों की भीड़ बहुत ज्यादा हो गई है। उन्होंने सुरक्षा के दृष्टिकोण से अपील की कि लोग अपने घर से ही उत्सव मनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि हनुमान चालीसा और वृक्षारोपण करके उत्सव मनाएं।

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